Followers

Monday, 30 January 2017

K3 209 क्या लिखे ख़त में तुम्हें हम (kya likhe khat mein tumhen ham)

समझ में नहीं आता क्या लिखें तुम्हें हम ,
जवाब देते तुम्हें जो कुछ पूछते तुम ।
हाल ही पूछा है खत में सिर्फ तुम ने ,
दिल का हाल बताते ,वह तो ले गये हो तुम ।
यहां एक माटी की मूरत है या फूल ,
जो मुरझा रहा है बनने लगा है धूल का फूल।
 कुछ तो सोच लिया करो हमारे लिए भी,
जो दे तो तुम दिल अपना, तो बन जाए कुछ हमारा भी ।
जी लें हम भी तुम्हारी धड़कन के साथ ,
यूं तो ना कटे तारे गिन गिन के रात।
209 18 Sept 1990
Samajh mein nahi aata kya likhe Tumhe Hum ,
jawab Dete tumein Jo kuch poochte Tum.
 haal hi Poocha Hai Khat Mein Sirf Tum Ne ,
Dil Ka Haal Batate,vo to le gae Ho Tum .
Yahan ek maati  Ki Murat Hai ,Ya Phool ,
Jo Murjha raha hai banne Laga Hai Dhool Ka Phool .
kuch Tu Soch Liya Karo Hamare liye bhi,
 jo de do Tum Dil Apna to ban jay e kuch Hamara Bhi .
Jee Len Hum Tumhari dharkan ke sath.
 yun Tu  Na Kate Tare Gin Gin Ke raat.

No comments: