रंगों में क्या चीज है जो रंग बिखराता है,
चांद अपनी चांदनी बिखराता है,
जो मन को मोह मोह जाता है।
रंगों की इस दुनिया में कुछ ऐसा भी है,
जो काला और सफेद है,
जो अंधे हैं उनके लिए सब काला है,
दम तोड़ कर इतना जो कर जाते सब सफेद हैं।
फिर इस रंग की क्या कीमत है।
देता नहीं यह सब को अपने गम और खुशियां बराबर।
किसी को खुशियां ही खुशियां किसी को गम की चादर।
1986. 004
Rang
Rangon me kya cheez hai jo Rang bikhraata Hai
Chand apni Chandni bikhrahta hai jo Man ko Moh moh jata hai.
Kuch Aisa Bhi Hai Jo Kala Aur Safed hai,
Jo Aandhe Hain unke Liye Sab Kala
Dum Tod kar apna Jo ker Jate Sab Safed hain.
Fir is rang ki kya Keemat hai,
Deta Nahi Ye Sab Ko Apne Gum aur Khushiyan barabar,
Kisi Ko Khushiyan hi Khushiyan Kisi Ko Gum Ki Chadar.
चांद अपनी चांदनी बिखराता है,
जो मन को मोह मोह जाता है।
रंगों की इस दुनिया में कुछ ऐसा भी है,
जो काला और सफेद है,
जो अंधे हैं उनके लिए सब काला है,
दम तोड़ कर इतना जो कर जाते सब सफेद हैं।
फिर इस रंग की क्या कीमत है।
देता नहीं यह सब को अपने गम और खुशियां बराबर।
किसी को खुशियां ही खुशियां किसी को गम की चादर।
1986. 004
Rang
Rangon me kya cheez hai jo Rang bikhraata Hai
Chand apni Chandni bikhrahta hai jo Man ko Moh moh jata hai.
Kuch Aisa Bhi Hai Jo Kala Aur Safed hai,
Jo Aandhe Hain unke Liye Sab Kala
Dum Tod kar apna Jo ker Jate Sab Safed hain.
Fir is rang ki kya Keemat hai,
Deta Nahi Ye Sab Ko Apne Gum aur Khushiyan barabar,
Kisi Ko Khushiyan hi Khushiyan Kisi Ko Gum Ki Chadar.
No comments:
Post a Comment