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Monday, 6 February 2017

K2 0038 क्या करें क्या ना करें ( Kya Kare Kya Na Karen)

जब अपने ही तीखे तीर जिगर के पार करें,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
जब अपने ही सि्तम ढाने की हद पार करें,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
उनकी जफ़ाएं रह रह कर हमारे दिल को बेकरार करें,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
दूसरों से हंस हंस के बात करें और हम पर दूर बैठे वार-पे-वार करें ,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
हमें तड़पता छोड़ कर दूसरों पर हुस्न (इश्क) की बरसात करें ,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
अगर उन्होंने कहीं कह दिया जफा बिन मोहब्बत नहीं ,
इसलिए हम जफ़ाएं हजार करें ।
तो हम क्या करें क्या न करें ।
अगर हमारी वफाओं को भी वह जफा़एं बताकर बयान करें ,
तो हम क्या करें क्या न करें ।
गैरों में हमारी हंसी उड़ा कर ,
अपनी ही बात पर बात करें ।
तो हम क्या करें क्या न करें।
 चुभते हैं शूल से ,उनके लफ़ज ,
जख्म उन्हें दिखाएं ,
वह मरहम न लगाएं तो।
 हम क्या करें क्या न करें।
23,25,27,29May 1989 38
Jab Apne Hi tikhe Teer Jigar Ke Paar kare ,
To Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 Jab Apne hi Seetam Dhane Ki had Par Kare ,
To Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 Unki jafaen reh reh kr Hamare Dil Ko Bekarar Karen,
To Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 dusron Se hUs hus ke baat karen,
 Aur Hum Par Dur khare war pe war krein,
 to Hum ,Kya Kare Kya Na Karen .
Hame tadappa Chod Kar doosron pe Husna (ishq) ki barsat Karen,
 Toh Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 Agar unhonne Kahin keh Diya Jafa Bin Mohabbat nahi ,
is Liye Hum jafain hazar karen,
To h um Kya Kare Kya Na Karen .
Agar Hamari Wafaon ko bhi wo jfayein baata kar bYaN Karen
To Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 Gairon may Hamari Hasi Uda kar apni hi baat pe baat karen
To Hum Kya Kare Kya Na Karen.
 Chubhte Hain Shool Se unke juban k tir,
Zakhm Unhein Hum dikhyen ,vo marham Na Lageyein ,
to Hum Kya Kare Kya Na Karen.

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