खत जब उसने पड़ा देखा होगा हमारे नाम का,
तीरे नजरों से किस तरह उठा कर कतरे करके ,
आग में किस तरह जलाया होगा।
हजारों बेगुनाह शब्दों को मौत की सजा दे,
उस जालिम ने सजा से बचने का क्या बहाना बनाया होगा ।
आंखों से आग लब से शोले निकले होंगे,
न जाने क्या-क्या सोच कर उसने ,
न जाने हम पर क्या इल्जाम लगाया होगा।
अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए,
बेगुनाह को गुनहगार बता कर ,
क्या उसने सुकून पाया होगा ।
पत्थर दिल है वो, क्या सोचते होंगे दूसरों के लिए,
न जाने कितने ही लोगों को उसने इस तरह सताया होगा।
हम न जाने किस तरह उनके हुस्न के जाल में फँस गये,
औरों ने भी क्या उनकी बेवफाई का ,
हमारी तरह ही पता पाया होगा ।
हर खता की एक सजा तो होती ही है,
कब तक कोई बचता रहेगा इस तरह,
खुदा ने भी तो सजा देने का कुछ सलीका बनाया होगा।
दुख बेगुनाह को देकर क्या खुशी मिलती होगी उसे,
क्या उसके ज़मीर ने भी कभी उसे,
इस हरकत पर रुलाया होगा ।
दूसरों को दुख देने में उन्हें क्या खा़क खुशी मिलती है ,
खुशी देकर तो देखो ,
क्या खुदा ने यही सोचकर इंसान का दिल बनाया होगा।
5,11,May1989. 37
Gunaha
Jab usne Pada Dekha Hoga khtt Hamar e naam ka ,
Teere Nazron Se kis tarhe Utha Kar ,Katre Karke Aag mein Kis tareh Jalya hoga.
Hazaaron begunah shabdon ko maut ki saza de,us jaalim ne sja se bachne ka kya Bahana Banaya Hoga.
Aankhon se Aag se lub Se Sholay niklenge honge.
Na Jane Kya Kya Soch kar usne Na Jaane Hum Pe kya Ilzaam Lagaya hoga .
apni begunahi sabit karne ke liye begunah ko gunagaar bta kar kya usne skoon paya hoga.
Pather dil hain vo,
Kya sochte honge doosron ke liye,
Na jaane kitne he logon ko usne Is Tarah Sattaya hoga .
Hum Na Jane Kis Tarah Husn (ishq) Ke Jaal Mein fus gaye,
Auroun ne Bhi Kya uneky Bewafai Ka, Hamari Tarah he Pata Paya hoga.
Har Khata ki ek Saza hoti hai ,
Kab Tak Koi bacchta Rahega Is Tarah ,
Khuda Ne Bhi Toh Saza dene ka kuch salika Banaya Hoga .
Dukh beGunaho ko de kar kya Khushi Milti Hogi use,
kya Uske jameer ne bhi kabhi use is herkat pay Rulaya hoga .
doosron ko Dukh dene mein kya khak Khushi milti hai ,
Khushi De Kar to Dekho ,
Kya Khuda Ne Yahi Soch kar Aadmi Ka Dil Banaya Hoga
तीरे नजरों से किस तरह उठा कर कतरे करके ,
आग में किस तरह जलाया होगा।
हजारों बेगुनाह शब्दों को मौत की सजा दे,
उस जालिम ने सजा से बचने का क्या बहाना बनाया होगा ।
आंखों से आग लब से शोले निकले होंगे,
न जाने क्या-क्या सोच कर उसने ,
न जाने हम पर क्या इल्जाम लगाया होगा।
अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए,
बेगुनाह को गुनहगार बता कर ,
क्या उसने सुकून पाया होगा ।
पत्थर दिल है वो, क्या सोचते होंगे दूसरों के लिए,
न जाने कितने ही लोगों को उसने इस तरह सताया होगा।
हम न जाने किस तरह उनके हुस्न के जाल में फँस गये,
औरों ने भी क्या उनकी बेवफाई का ,
हमारी तरह ही पता पाया होगा ।
हर खता की एक सजा तो होती ही है,
कब तक कोई बचता रहेगा इस तरह,
खुदा ने भी तो सजा देने का कुछ सलीका बनाया होगा।
दुख बेगुनाह को देकर क्या खुशी मिलती होगी उसे,
क्या उसके ज़मीर ने भी कभी उसे,
इस हरकत पर रुलाया होगा ।
दूसरों को दुख देने में उन्हें क्या खा़क खुशी मिलती है ,
खुशी देकर तो देखो ,
क्या खुदा ने यही सोचकर इंसान का दिल बनाया होगा।
5,11,May1989. 37
Gunaha
Jab usne Pada Dekha Hoga khtt Hamar e naam ka ,
Teere Nazron Se kis tarhe Utha Kar ,Katre Karke Aag mein Kis tareh Jalya hoga.
Hazaaron begunah shabdon ko maut ki saza de,us jaalim ne sja se bachne ka kya Bahana Banaya Hoga.
Aankhon se Aag se lub Se Sholay niklenge honge.
Na Jane Kya Kya Soch kar usne Na Jaane Hum Pe kya Ilzaam Lagaya hoga .
apni begunahi sabit karne ke liye begunah ko gunagaar bta kar kya usne skoon paya hoga.
Pather dil hain vo,
Kya sochte honge doosron ke liye,
Na jaane kitne he logon ko usne Is Tarah Sattaya hoga .
Hum Na Jane Kis Tarah Husn (ishq) Ke Jaal Mein fus gaye,
Auroun ne Bhi Kya uneky Bewafai Ka, Hamari Tarah he Pata Paya hoga.
Har Khata ki ek Saza hoti hai ,
Kab Tak Koi bacchta Rahega Is Tarah ,
Khuda Ne Bhi Toh Saza dene ka kuch salika Banaya Hoga .
Dukh beGunaho ko de kar kya Khushi Milti Hogi use,
kya Uske jameer ne bhi kabhi use is herkat pay Rulaya hoga .
doosron ko Dukh dene mein kya khak Khushi milti hai ,
Khushi De Kar to Dekho ,
Kya Khuda Ne Yahi Soch kar Aadmi Ka Dil Banaya Hoga
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