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Saturday, 25 February 2017

K005 सपने (Sapne)

आंखों में आपकी पाता हूं जिंदगानी
ऐसा लगता है
हमारी तुम्हारी दोस्ती है सदियों पुरानी।


ऐसा लगता है
बाहों में तुम्हारी ही रहता हूं बरसों से,
गाल तुम्हारे छूता हूं तो ,लगता हैं,
तूू है ठंडे वर्फ के पर्वतों की रानी।

दिल हूँ में, तू दिलरुबा है मेरी।
जाने जिगर जफा तुमने जो कि,
खत्म हो जाएगी यहीं तेरी मेरी कहानी।

रातों को तारे गिनता रहता हूं।
लेकिन गिन के भूल जाता हूं।
कौन रखता है याद गिनती जुबानी।

जाने तमन्ना तारों के बदले
तेरी सांसों के तार गिन जाता हूं।
लगता है सुन रहा हूं कोई गीत रूहानी।

नरम है तू, गर्मी है तुझ में इतनी,
मैं तुझ पर ही यूँ सपने सजाए जाता हूं।
दिलरुबा तू है मेरी सपनों की रानी।
1986 005
Sapne
Aankhon Mein aap ki pata Hoon Zindagani
Aisa Lagta Hai
Hamari Tumhari Dosti Hai sadiyon purani
Bahon me Tumhari Rehta Hoon Barson se
Gaal Tumhare Choota hun to Lagte Hain
Thunday Bharaf ke Parvat se
Dil Hun main, Tu Dilruba Hai Meri
 Teri Kasam
Jaane Jigar ,Jafa tumne jo ki Toh Mar Jayenge Hum
Raaton ko Taare ginta Hoon, Lekin
Ginkar bhool Jata Hoon.
 Jaane Tamanna Taron Ke Badle
Teri Saanson ke taar Gin jata Hoon.
Naram Hai Tu, Garmi Hai Tujh Mein Itni,
 Jane wafa me Tujh Pe Yunhi Sapne Sajaay jata hun.

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