उनको मिलना तो चाहिए था दंड।
करना चाहिए था उनका अंग भंग।
यह तो बहुत आसान मौत हो गई।
उनकी तो पल में मुक्ति हो गई।
कहाँ तड़पना उनको समझ आया।
कहां उनकी हैवानियत ने उनको डराया।
वो तो पल में मुक्त हो गए।
आराम से दुनिया से छुट्टी हो गई।
उनको भी कुछ एहसास होता बेज्जती का।
शरीर छलनी होता दर्द से उनका।
कुछ पल तो वो कराहते खुद को देख कर।
जैसा चाहती थी दुनिया, वैसी उनकी दुर्गति ना हुई।
उनको मिलना तो चाहिए था दंड।
करना चाहिए था उनका अंग भंग।
यह तो बहुत आसान मौत हो गई।
उनकी तो पल में मुक्ति हो गई।
11.04pm 6 Dec 2019 Friday
करना चाहिए था उनका अंग भंग।
यह तो बहुत आसान मौत हो गई।
उनकी तो पल में मुक्ति हो गई।
कहाँ तड़पना उनको समझ आया।
कहां उनकी हैवानियत ने उनको डराया।
वो तो पल में मुक्त हो गए।
आराम से दुनिया से छुट्टी हो गई।
उनको भी कुछ एहसास होता बेज्जती का।
शरीर छलनी होता दर्द से उनका।
कुछ पल तो वो कराहते खुद को देख कर।
जैसा चाहती थी दुनिया, वैसी उनकी दुर्गति ना हुई।
उनको मिलना तो चाहिए था दंड।
करना चाहिए था उनका अंग भंग।
यह तो बहुत आसान मौत हो गई।
उनकी तो पल में मुक्ति हो गई।
11.04pm 6 Dec 2019 Friday
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