सजाया है वादियों को सफेद चमकती बर्फ ने।
किस करीने से सजी है पहाड़ों की चोटियों पे ये।
सीढ़ीदार खेतों पर पड़ी जैबरा सी दिखाई देती है।
कभी लहरिया सी चुनरी ओढ़े दिखाई देती है ।
बढ़ते हुए आगे आगे इन घुमावदार सड़कों पर।
खो जाता हूँ देखते हुए वृक्षों की ऊंची लंबाई को।
ये सोच कर हैरान हूँ, कौन है इस रचना का चित्रकार।
कर दी है वह चित्रकारी, जिसका मन में भी ना आए विचार।
8.35pm 21 Dec 2019 Saturday
किस करीने से सजी है पहाड़ों की चोटियों पे ये।
सीढ़ीदार खेतों पर पड़ी जैबरा सी दिखाई देती है।
कभी लहरिया सी चुनरी ओढ़े दिखाई देती है ।
बढ़ते हुए आगे आगे इन घुमावदार सड़कों पर।
खो जाता हूँ देखते हुए वृक्षों की ऊंची लंबाई को।
ये सोच कर हैरान हूँ, कौन है इस रचना का चित्रकार।
कर दी है वह चित्रकारी, जिसका मन में भी ना आए विचार।
8.35pm 21 Dec 2019 Saturday
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