English version 2856
Punjabi version 2855
सावन की लगी झड़ी।
मन की भी पीड़ा बड़ी।
सजना बैठे विदेश में,
सजनी सहे वियोग।
पल पल करे प्राथना।
प्रभु बनाए योग।
आँसू बहे वियोग में,
बह गए बरखा संग।
बैठी सजनी बिरहा में,
कौन जमाए रंग।
किससे मैं पीड़ा कहूँ,
पल पल उठती टीस।
कैसे बुलाऊँ पास मैं।
दूर मेरे मनमीत।
7 14pm 7 July 2024
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