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Sunday, 7 July 2024

2798 सावन‌ की लगी‌ झड़ी

 English version 2856

Punjabi version 2855

सावन‌ की  लगी‌ झड़ी।

मन की भी पीड़ा बड़ी।


सजना बैठे विदेश में,

सजनी सहे वियोग।

पल पल करे प्राथना।

प्रभु बनाए योग।


आँसू बहे वियोग में,

बह गए बरखा संग।

बैठी सजनी बिरहा में,

कौन जमाए रंग।


किससे मैं पीड़ा कहूँ,

पल पल उठती टीस।

कैसे बुलाऊँ पास मैं।

दूर मेरे मनमीत।

7 14pm 7 July 2024

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