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क़ाफ़िया आना
रदीफ़ गीता से
मिली दुनिया में भारत को, नयी पहचान गीता से।
जो जाना इसको दुनिया ने , बढ़ी फिर शान गीता से।
महाभारत में निकली थी ,कृष्ण के मुख से जो उस दिन।
लड़ा था युद्ध अर्जुन ने मिला जब ज्ञान गीता से।
कोई कुछ भी कहे हम जानते हैं मर्म गीता का।
हैं हम भारत के वासी और हमारा मान गीता से।
समझता तुच्छ था जो कृष्ण को मानव समझकर ही।
वही धृतराष्ट्र जाना कृष्ण हैं भगवान गीता से।
पढ़ो तुम पुस्तकें लाखों ही चाहे ज्ञान की खातिर।
मगर रहना न जीवन में, कभी अनजान गीता से।
पढ़े तुमने हो चाहे कितने भी दीवान जीवन में।
पता होगा हैं कमतर वो, सभी दीवान गीता से।
समाया ज्ञान इस छोटे से ही इक ग्रंथ में इतना।
बने हैवान पाया ज्ञान तो इंसान गीता से।
फँसा हो कोई उलझन में, दिखाई दे न और मंजिल।
तो देना ज्ञान करके 'गीत' तुम गुणगान गीता से ।

2 comments:
अद्भुत
Very nice ji
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