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Sunday, 12 November 2017

K365 English Poem my heart Deep.(माय हार्ट डीप)

Whenever I go to my heart  Deep.
I never found it weep.
Always I see it is thinking about somebody.
Who is that somebody
This I think know everybody.
Thinking is his hobby.
Where may be he
In the Lodge or in the lobby.
I always try to join it.
But he never see,
Who is standing beside it.
He always go in so deep.
That by standing beside him,
I always get sleep.
In his company I always feel boring
About whom he always think, is only he is caring.
By seeing this I start tearing.
So I want it to give it to somebody,
 and take Heart for myself from somebody.
so that he can think about me and talk with me,
 wherever I go, he always walk with me.
विनेवर आई गो टू माय हार्ट डीप ।
आई नेवर फाउंड इट वीप।
ऑलवेज आई सी,इट इज़ थिंकिंग अबाउट सम बॉडी।
हूं इज़ डेट समबडी।
आई थिंक नो एवरीबॉडी।
थिंकिंग इस हिज़ हाबी।
वेयर में बी ही।
इन द लॉज और इंदा लॉबी।
आई ऑलवेज ट्राई टू ज्वाइन इट।
बट  हीनेवर सी।
हु इज स्टैंडिंग बिसाइड इट ।
ही ऑलवेज गोइंन सो डीप।
डेट बाय स्टैंडिंग बिसाइड हिम।
आई ऑलवेज गेट सलीप।
फ्इन हिज़ कंपनी आई ऑलवेज फील बोरिंग ।
अबाउट तुम ही ऑलवेज ऑलवेज थिंक इज़ ओनली ही इज केरिंग।
बाय सींइग दिस आई सटार्ट टियरिंग।
सो आई वांट इट टू गिव इट टू समबडी।
एंड टेक हॉरट फौर माय सेल्फ फ्रॉम समबडी।
सो दैट ही कैन थिंक अबाउट मी एंड टॉक विद मी।
वेयर एवर  आई कैन गो ही ऑलवेज वाक विद मी।
365  25 Dec 1991

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