Followers

Thursday, 16 November 2017

369 गैर कब अपने हुए हैं (Gair Kab Apne Hue Hain )

सबको अपना ना समझ तू।
सबको अपना समझने वाले।
गैर हैं वह जिन्हें तू अपना समझता है।
वह नहीं है तेरी पहचान वाले।
कितनी भी लुटा खुशियां तू उन पर।
वह नहीं है यूं बदलने वाले।
चाहत को अपनी तू दबा दे।
वो नहीं है तेरी तड़प को समझने वाले।
इशारों में वो अपनों से बात करते हैं।
बात तेरे खिलाफ है तो क्या हुआ।
यह ना सोच वो तेरे हैं। फिर,
बेगाने कब होते हैं गैरों पर मरने वाले
369  10Aug 1992
Sab Ko Apna Na Samajh tu,
Sab Ko Apna samajhne wale.
Gair Hain Vo Jeenhain tu Chahta Hai.
Woh nahi hai teri Pehchan wale.
Kitni hai Lutaa Khushiyan tu Un pe.
Woh nahi hain Yun badalne wale.
Chahat ko apni tu daba De.
Woh nahi hai teri Tadap samajhne wale.
Ishaaron Mein Woh Apno se baat karte hain.
Baat tere khilaf Hai To Kya Hua.
Ye na Soch Vo Tere Hain.
 Phir,
Begane kab hote hain gairon Pe Marne Wale.


No comments: