पहले ही चोट खाए बैठे हैं।
और क्यों जख्म देते हो।।
नहीं हो तुम मेरे ,तो कह दो।
क्यों अपना होने का भरम देते हो।।
पहले ही किस कदर परेशान हैं हम।
क्यों जलते शोलों को हवा देते हो।।
तमन्ना ना थी किसी को अपनाने की,
फिर भी तुम्हारे हो गए।
क्यों अब दिल लेके दगा देते हो।।
382 8 Oct 1992
Pahale Hi Chot Khae Baithe Hain.
Or Kyon zakham dete Ho.
Nahi ho tum mere Toh Keh do.
Kyun Apna hone ka Bharam dete Ho.
Pehle Hi Kis Kadar Pareshan Hain Hum.
Kyun Jalte Sholon Ko Hawa dete Ho.
Tamanna Naa thi Kisi Ko Apnane ki.
Phir Bhi Tumhare Ho Gaye.
Kyun Ab Dil Leke Dga dete Ho.
और क्यों जख्म देते हो।।
नहीं हो तुम मेरे ,तो कह दो।
क्यों अपना होने का भरम देते हो।।
पहले ही किस कदर परेशान हैं हम।
क्यों जलते शोलों को हवा देते हो।।
तमन्ना ना थी किसी को अपनाने की,
फिर भी तुम्हारे हो गए।
क्यों अब दिल लेके दगा देते हो।।
382 8 Oct 1992
Pahale Hi Chot Khae Baithe Hain.
Or Kyon zakham dete Ho.
Nahi ho tum mere Toh Keh do.
Kyun Apna hone ka Bharam dete Ho.
Pehle Hi Kis Kadar Pareshan Hain Hum.
Kyun Jalte Sholon Ko Hawa dete Ho.
Tamanna Naa thi Kisi Ko Apnane ki.
Phir Bhi Tumhare Ho Gaye.
Kyun Ab Dil Leke Dga dete Ho.
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