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क़ाफ़िया ऐंगे
रदीफ़ यह तय हुआ था
कहा था तुमने मिले या बिछड़ें, तेरे रहेंगे यह तय हुआ था।
खुशी में हों चाहे गम में दोनों मिला करेंगे यह तय हुआ था।
जुदा हुईं माना राहें अपनी, मिले हुए दिल मगर है अपने।
खुशी में चाहे मिले न, गम में मगर मिलेंगे यह तय हुआ था।
यह माना राहों में फूल तेरी, बिछा न पाए हैं हम कभी भी।
मगर ये दुनिया बिछाए काँटे तो हम चुनेंगे यह तय हुआ था।
ये ज़िंदगी चाहे अब गुज़ारें जुदा जुदा पर अखीर में तो।
सहारा इक दूसरे का हम तो, सदा बनेंगे यह तय हुआ था।
जुदा जो दुनिया ने की थी राहें, दी सीख इक दूसरे को हमने।
तूफान का सीना चीर हम तो, डटे रहेंगे यह हुआ था।
रुलाना चाहे अगर ये दुनिया, बिछा के राहों में कांँटे अपनी।
चलेंगे मिलके खुशी से हम तो सदा हँसेंगे यह तय हुआ था।
हमें तो चलनी अभी है राहें, हैं दूर मंजिल बहुत हमारी।
दिखाएंगे हम न अपने गम को, खुश हम दिखेंगे यह तय हुआ था।
यह वादा तुम तोड़ना कभी मत लगे रहो काम में भी चाहे।
करार ये है मिलेंगे हम फूल जब खिलेंगे यह तय हुआ था।
लिखी है किस्मत में गर जुदाई, दिखाएंगे हम अलग नहीं हैं।
मिले हुए 'गीत' दिल हैं चाहे, अलग चलेंगे यह तय हुआ था।
2.47pm 14 Nov 2025


6 comments:
Beautiful ❤️
Shabeena Adeeb साहिबा का ये गीत मुझे बहुत पसंद है🌹
बेहतरीन ग़ज़ल वाह
Ji usi radeef ko lekar ye meri ghazal hai.please comment kaisi lagi
Thanks ji
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