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Monday, 6 September 2021

1762 गीत गज़ल : सब ले गया मुनाफा जो बनता गरीब है

 221 2121 1221 212

धुन: इतनी हसीन इतनी जवां रात क्या करें।

      जागे हैं कुछ अजीब से जज़बात क्या करें।

काफिया ईब

रदीफ है

बनता है हर कोई तो यहां पर हबीब है।

 पर प्यार की कदर नहीं किस्सा अजीब है।


मुश्किल से मिलता है कोई तो प्यार करने को।

 क्यों प्यार करने वालों की दुनिया रकीब है।

221 2121 1221 212

जो मर गये वो प्यार में तो हो गए अमर।

जो मिल गए तो उनका ये अपना नसीब है।


कोई नहीं है जानता दुनिया में प्यार को ।

रहता है चाहे कोई भी, कितना करीब है।


धड़कन बड़ी है प्यार में तेरे तो इस कदर।

मैं हूं तेरा मरीज तू मेरा तबीब (चिकित्सक)है।


मेरे लिए दो लफ्ज़ न निकले जुबान से ।

आया बड़ा जो बनता तू उसका खतीब है ।

            (किसी की तरफ से बोलने वाला )

दर-दर की ठोकरें खा रहे जो अमीर हैं ।

है प्यार जिसके पास नहीं वो गरीब है।


कुछ भी नहीं मिला जो असल में गरीब था।

सब ले गया मुनाफा जो बनता गरीब  है।

12.48pm 6September 2021

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