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Monday 27 September 2021

1782 चल पड़ूं मैं किसी लंबी उड़ान पे

जी चाहता है चल पड़ूं मैं किसी लंबी उड़ान पे।

सब रह जाए पीछे और मैं चलूं आगे शान से।

उड़ती विचरती तितलियों को देखूं सुहाने वन में।

बैठ जाऊं कहीं जंगल में ,बड़े आराम से ।

प्रकृति की गोद मिले ,और धीमा सा संगीत हो।

पड़ रहे हों तन मन को सुख देते सुर कान में। 

कल कल नदियां फिर सुनाई कोई संगीत नया।

 यात्रा  हो ऐसी ,जो चलती रहे अविराम ये।

जाने कैसी भाग दौड़ लगी है हमको आज के माहौल में ।

काश प्रकृति से जुड़कर देखूं, जीवन यात्रा की शाम ये।

2.42pm 27 September 2021


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