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धुन: भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहां जाएं
काफि़या आरा
रदीफ़ है
न जाने इन हवाओं ने किया अब क्या इशारा है ।
उमड़ती सी घटाओं ने,सनम तुझको पुकारा है ।
न जाने बोलते हैं क्या ये बादल घोर गर्जन से।
न जीना इन फिजाओं में हमें अब तो गवारा है ।
हवाएं जोर से चलती, बरस जातें है बादल जब।
कहीं भी कश्ती को फिर तो ,नहीं मिलता किनारा है।
कभी तूने न जाना दिल ,मेरा कितना तुझे चाहे।
कि देखा जब से तुझको है,हुआ ये तो तुम्हारा है ।
ये दुनिया हो गई दुश्मन तमन्ना की तेरी जबसे।
कहीं भी अब नहीं मुझको किसी का भी सहारा है ।
तेरे बिन मिल रही हमको है तनहाई व रुसवाई ।
तू मिल जाए अगर मुझको, तो हर लम्हा हमारा है ।
कि आके मिल जा अब तो तू, खड़े हैं तेरी राहों में ।
बिना तेरे कहां मेरा घड़ी भर भी गुजारा है।
4.05pm 16 Sept 2021
1 comment:
बहुत खूब
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