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Saturday, 11 September 2021

1766 ग़ज़ल : जान बन के जो दिल में रहते हैं

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काफि़या हते Qafia hte

रदीफ़ हैं Radeef hain


जान बन के जो दिल में रहते हैं ।

वो कहां अपना मुझको कहते हैं ।


याद उनकी में हम तड़पते हैं  ।

आंख से आंसू भी तो बहते हैं ।


बढ़ती रहती है दिल की धड़कन ये।

 दर्द दिल  का भी हम तो सहते हैं ।


देखते हैं उन्हें ख्वाबों में ।

बाद में वो ख्वाब ढहते हैं।

4.01pm  10 September 2021