Dhun:Itni haseen itni Jawan Raat kya Karen
धुन:इतनी हसीन इतनी जवां रात क्या करें
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काफि़या आते
रदीफ़ रहे थे वो
करते हैं हमसे प्यार छुपाते रहे थे वो।
ऐसी ही हरकतों से सताते रहे थे वो।
बढ़ती गई थी प्यार में दोनों के दूरियां ।
फिर भी किसी तरह से निभाते रहे थे वो।
तोड़ा नहीं किया हुआ,वादा कभी कोई।
थे दूर फिर भी हाथ मिलाते रहे थे वो।
होते रहे थे शिकवे गिले प्यार में मगर ।
रूठे कभी जो हम तो मनाते रहे थे वो।
जब बढ़ रहे थे फासले दोनों के प्यार में।
आएं करीब कैसे ,बताते रहे थे वो।
छुप छुपके प्यार को था छुपाया कई दफा।
फिर भी कभी-कभी तो जताते रहे थे वो।
सुलझेगी कैसे बात जो उलझी हुई अभी
आए थे जब मुकाम सुझाते रहे थे वो।
4.24pm 15 September 2021
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