2122 1212 22
जो अगर उसकी रहमतें होतीं।
जिंदगी में तो राहतें होती।
प्यार होता तुम्हे अगर मुझसे ।
आज अपनी तो कुर्बतें होतीं।
कर लिया एतबार जो होता ।
तो न तुमको यह ज़हमतें होती ।
होती इंसानियत जो दुनिया में ।
तो कहां फिर ये नफरतें होती ।
खेल बारुद का न अगर होता ।
आज जो हैं न हालतें होती ।
हो जो इंसानियत कहां फिर ये
एक दूजे पे तोहमतें होतीं।
काम करता जो आदमी अपना ।
फिर न ऐसी ये आदतें होतीं।
बढ़ती आबादी रोक लेते जो।
हर किसी पर ,तो फिर छतें होतीं।
13.16pm 14 Sept 2021
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