2122 1212 22
Qafia ओ
लिख हैं डाले पन्ने कई अब तो ।
भेज ही बस नहीं सका इनको ।
जब कभी हो दिमाग जाता है सुन्न।
दिल मुलाकात, सोचता कब हो।
है अजीबो-गरीब धड़कन ये।
जो नहीं सुनती है यहां सब को ।
था वो आजाद सा परिंदा जो।
नोंच डाला था जिसने खुद पर को।
12.13pm 13 September 2021
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