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Thursday, 30 September 2021

1785 ग़ज़ल Ghazal :आया है वसल ए यार का मौसम

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Qafia Aar,काफिया आर

Radeef : Ka Mausam, रदीफ़ - का मौसम

क्या हसीं है ये प्यार का मौसम।

आया है वसल ए यार का मौसम ।


बैठे थे इंतजार में जिसके ।

आया उसके दीदार का मौसम ।


जो रहे  गम की रात में तन्हा।

आ गया उनके प्यार का मौसम ।


आया महबूब सामने मेरे ।

हट गया अब निगार का मौसम ।( निगार- मूर्ति)


छट गई है खिजा जो छाई थी ।

आ गया है बहार का मौसम ।


आ गए हैं चुनाव के दिन अब ।

लीडरों के शिकार का मौसम।

3.1430 September 2021

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