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Thursday, 9 September 2021

1764 ग़ज़ल : सोच कर तू जरा अपनी हर चाल रख।

 212 212 212 212

धुन: आपकी याद आती रही रात भर

काफिया आल

रदीफ़ रख

सोच कर तू जरा अपनी हर चाल रख।

इस तरह जिंदगी अपनी खुशहाल रख ।


जिंदगी में तेरी मोड़ आए कई ,

राह पर तू कदम देख संभाल रख ।


कोई कीमत नहीं आदमी की यहां ।

इस जमाने में खुद को न कंगाल रख ।


जो हो पैसा तो तेरी सुनेंगे सभी ,

हो न पैसा अगर तो कोई ढाल रख ।


मत उलझ बेवजह तू किसी से यहां ।

दूर खुद से सदा जी का जंजाल रख ।


प्यार को तू दिखा जितना जल्दी बने ।

हो लड़ाई अगर उसको तू टाल रख।


फसता कोई नहीं आजकल जाल में ।

चाहे कितना भी तू डालकर जाल रख।


 हो गया जो था होना ,जो इस साल में ।

आगे करना है जो ,अगले ही साल रख।

1.24pm 9 September 2021

1 comment:

Santosh Garg said...

वाहहहहह बेहतरीन ग़ज़ल आपकी संगीता जी बधाई 👏👏👏👏👏👏🙏🌹🙏