212 212 212 212
धुन: आपकी याद आती रही रात भर
काफिया आल
रदीफ़ रख
सोच कर तू जरा अपनी हर चाल रख।
इस तरह जिंदगी अपनी खुशहाल रख ।
जिंदगी में तेरी मोड़ आए कई ,
राह पर तू कदम देख संभाल रख ।
कोई कीमत नहीं आदमी की यहां ।
इस जमाने में खुद को न कंगाल रख ।
जो हो पैसा तो तेरी सुनेंगे सभी ,
हो न पैसा अगर तो कोई ढाल रख ।
मत उलझ बेवजह तू किसी से यहां ।
दूर खुद से सदा जी का जंजाल रख ।
प्यार को तू दिखा जितना जल्दी बने ।
हो लड़ाई अगर उसको तू टाल रख।
फसता कोई नहीं आजकल जाल में ।
चाहे कितना भी तू डालकर जाल रख।
हो गया जो था होना ,जो इस साल में ।
आगे करना है जो ,अगले ही साल रख।
1.24pm 9 September 2021
1 comment:
वाहहहहह बेहतरीन ग़ज़ल आपकी संगीता जी बधाई 👏👏👏👏👏👏🙏🌹🙏
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