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Thursday, 16 September 2021

1771 ग़ज़ल गीत: यह क्या राज है जो समझ में न आए

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धुन : तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं ।

        वफा कर रहा हूं वफा चाहता हूं।

Qafia Aaya  काफि़या आया

Radeef usi ne रदीफ़  उसी ने

है अब पास हमको बिठाया उसी ने ।

था कल तो तमाशा बनाया उसी ने।


न खुद जो चले थे उसूलों पे अपने ।

मुझे पाठ भी था पढ़ाया उसी ने ।


यह क्या राज है जो समझ में न आए ।

बताया उसी ने छुपाया उसी ने ।


बड़ा माना था जिसने मुझको हमेशा।

था नजरों से सबकी गिराया उसी ने।


चले आए थे छोड़ महफिल को हम तो ।

था महफिल में हमको  बुलाया उसी ने ।


न जो दे सका दाद महफिल में मुझको ।

था मुझको गले फिर लगाया उसी ने ।

11.41am 14 Sept 2021

2 comments:

Surender Soni Kakrod said...

जज़बातों को सलीके से सजाया आपने;
वाह, क़माल का ख़्याल बनाया आपने।

Sanjay Bharti said...

वाह्ह बहुत सुन्दद गज़ल