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धुन : तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं ।
वफा कर रहा हूं वफा चाहता हूं।
Qafia Aaya काफि़या आया
Radeef usi ne रदीफ़ उसी ने
है अब पास हमको बिठाया उसी ने ।
था कल तो तमाशा बनाया उसी ने।
न खुद जो चले थे उसूलों पे अपने ।
मुझे पाठ भी था पढ़ाया उसी ने ।
यह क्या राज है जो समझ में न आए ।
बताया उसी ने छुपाया उसी ने ।
बड़ा माना था जिसने मुझको हमेशा।
था नजरों से सबकी गिराया उसी ने।
चले आए थे छोड़ महफिल को हम तो ।
था महफिल में हमको बुलाया उसी ने ।
न जो दे सका दाद महफिल में मुझको ।
था मुझको गले फिर लगाया उसी ने ।
11.41am 14 Sept 2021
2 comments:
जज़बातों को सलीके से सजाया आपने;
वाह, क़माल का ख़्याल बनाया आपने।
वाह्ह बहुत सुन्दद गज़ल
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