1212 - 1122 - 1212 - 112(22)
क़ाफ़िया आस
रदीफ़ लिखूँ
मुझे बता तुझे मैं आग या कि आब लिखूंँ।
लिखूँ कली तुझे कमसिन, कि मैं गुलाब लिखूंँ।
न जाने क्या होगा अंजाम प्यार का मेरे।
किया है प्यार तो क्या ज़िंदगी ख़राब लिखूँ।
मेरी तमन्ना तेरा प्यार,काश मिलता मुझे।
मिलेगी मुझको कभी या तुझे मैं ख्वाब लिखूँ।
तेरा हुस्न, तेरी सूरत, तेरा शबाब लिखूँ।
लिखूँ मैं एक ग़ज़ल, पूरी या किताब लिखूँ।
मिला है ख़त किया इज़हार प्यार का उसने।
तू हि बता मुझे अब क्या उसे जवाब लिखूँ।
छुपा ली मैंने बहुत दिल की बात दिल ही में।
लिखूँ मैं हाल जो दिल का कि बस अदाब लिखूँ।
बसी है दिल में मेरे तू जो क्या मैं भी हूं बसा।
गरीब खुद को लिखूँ,खुद को या नवाब लिखूँ।
नज़र बचा के तू रख, 'गीत' इस ख़ज़ाने को।
दिया खज़ाना तुझे रब ने बेहिसाब लिखूँ।
2.08pm 5 Jan 2025
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