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Monday, 27 January 2025

3003 ग़ज़ल क्या देंगे Ghazal: kya denge

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क़ाफ़िया आ

रदीफ़ देंगे

हमें उनसे मुहब्बत कितनी उनको हम बता देंगे। 

उन्हें हम चीर कर अपना ये कोमल दिल दिखा देंगे।

मुहब्बत में हुए ज़ख़्मी चले जब राह पर इसकी। 

जो पकड़ी राह मंजिल पर पहुंच सबको हिला देंगे।

जो हम हैं ठानते करते उसे पूरा दिलों जां से।

किया खुद से जो वादा हमने पूरा कर निभा देंगे।

मुहब्बत कैसे की जाती किसी से, हम दिखा देंगे।

कहे जो जानेमन अपनी तो तारे तोड़ ला देंगे।

मेरी बन जाएगी वो गर‌ खुदा यह चाहता होगा।

न हो पाए अगर उसके मुहब्बत में दुआ देंगे।

किया है प्यार जब से चाह अब कोई नहीं हमको।

मिले तुम ठीक वरना आग दिल की हम बुझा देंगे।

नहीं पल का भरोसा कुछ यह दुनिया आनी जानी है। 

लिया क्या 'गीत' मत तू सोच हम दुनिया को क्या देंगे।

4.06pm 7 Jan 2025


Qafiya: "Aa"

Radif: "Denge"

Humein unse mohabbat kitni unko hum bata denge.
Unhein hum cheer kar apna yeh komal dil dikha denge.

Mohabbat mein hue zakhmi chale jab raah par iski,
Jo pakdi raah manzil par pahunch sabko hila denge.

Jo hum hain thaante karte use poora dilo jaan se,
Kiya khud se jo wada humne poora kar nibha denge.

Mohabbat kaise ki jaati kisi se, hum dikha denge.
Kahe jo jaaneman apni to taare tod la denge.

Meri ban jayegi wo gar khuda yeh chahta hoga,
Na ho paaye agar uske mohabbat mein dua denge.

Kiya hai pyar jab se chaah ab koi nahin hamko,
Mile tum theek warna aag dil ki hum bujha denge.

Nahin pal ka bharosa kuch yeh duniya aani jaani hai,
Liya kya 'Geet' mat tu soch hum duniya ko kya denge.


1 comment:

babasta-e-zindagi said...

बहुत सुन्दर