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क़ाफ़िया अड़ा
रदीफ़ दिखाई देता है
वो दूर जो अकेला ही खड़ा दिखाई देता है।
वही जो पास जाएं तो बड़ा दिखाई देता है।
जो कर रहा यहांँ था कल बड़ाई सबके सामने
वो आज क्यों शर्म से अब गड़ा दिखाई देता है।
कभी था खुश मिजाज़ वो, बदल गया मिजाज़ अब।
इसीलिए वो सबको अब सड़ा दिखाई देता है।
किया था प्यार जिसको अब उसी ने धोखा दे दिया।
कहें भी क्या वो गम में अब पड़ा दिखाई देता है।
वो दिन भी क्या थे एक दूसरे को चाहते सभी।
जिसे भी देखो आज वो लड़ा दिखाई देता है।
नज़र थी टिक रही जहां हरिक गुजरने वाले की
वो फूल आज शाख से झड़ा दिखाई देता है।
बहुत ही प्यार से वो बात करता मिलता जिससे था।
बताएंँ रुख उसी का क्यों कड़ा दिखाई देता है।
हो जाती 'गीत' जब है हद किसी भी बात की तभी।
भरा वो एक दिन तो फिर घड़ा दिखाई देता है।
5.20 12 Jan 2025
अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं|
कदम कदम बढाए जा ख़ुशी के गीत गाये जा |
पुकारता चला हूँ मैं गली-गली बहार की |
1 comment:
Very nice ji 👌
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