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Wednesday, 15 March 2017

K2 0032 पा न सके (Paa Na Sake)

दुनिया में कैसे-कैसे लोग मिलते हैं,
कोई इतना चाहने वाले,
जिन्हें हम चाह न सके।
जिन्हें हम चाहें,
वह हमें चाह न सकें।
जिंदगी बड़ी अजीब है,
मंजिल करीब है,
मगर,
राहें खो जाती हैं।
जिन्हें आदमी कोशिश करे,
मगर ,पा न सके।
कई चाहने वाले हम से मिले।
फिर तमन्ना उठी हम उनसे मिलें।
रास्ता ढूंढना चाहा मगर,
मंजिल का पता पा न सके।
दूर किसी विराने में अगर,
कोई चाहने वाला मिल भी गया।
कदम रुक गए,
हौंंसले टूट गए,
हम उनके करीब जा न सके।
हम हाथ बढ़ा न सके,
हम उन्हें पा न सके।
32. 19DEC 1988

Paa Na Sake
Duniya Main Kaise Kaise log Milte Hain.
Jeene Hum chahain,
Wo Hame chah Na Sake.
Zindagi Badi Ajeeb hai
Manzil Kareeb Hai, Magar,
 Rahain kho jati hai,
Jinhain aadmi koshish kare,
Magar ,Pa Na Sake.
Kai Chanhni wale Humse Mile,
Phir, Tamanna uthi Hum Unse Milain,
Rasta dhundna Chaha Magar,
Manzil Ka Pata paa Na Sake.
Dur Kisi virane main agar koi chahane wala  b Mil Gaya.
Kadam ruk gae,
Honsla Tut gaye,
Hum UN Ke Kareeb Ja Na Sake.
Hum haath Bada Na Sake.
Hum unahin paa na sake.

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