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Monday, 17 April 2017

K2 0030 दोस्ती (Dosti)

दोस्ती यूं तो कोई ही करता है।
लोग दोस्ती करते भी हैं ,पर करते भी नहीं।
दोस्ती करना आसान है, निभाना बहुत मुश्किल।
अगर चाहें तो यह हमें बनाती है खुश दिल।
नहीं होते दोस्ती करने वाले कभी बुज़दिल।
कहा जाता है, एक और एक ग्यारह होते हैं।
एकता के सम्मुख लोग चैन से नहीं सोते हैं।

यूं तो रोज़ नए दोस्त मिलते हैं।
लेकिन जिस दोस्त की मैं बात करता हूं,
वो सदियों में कमल की तरह खिलते हैं।
नये आने से पुरानों को छोड़ देना नहीं।
अपने मतलब के लिए मुख मोड़ लेना नहीं।
तुम्हें वह भी कभी देंगे सहारा।
नये हैं सोना हो तो वह हैं हीरा।
माना तुम्हारा दिल हमसे भर गया है।
तुम्हें नया अब कोई दोस्त मिल गया है।
तुम आजाद होना चाहते हो।
तुम्हें कौन बांधे हैं बेड़ियां।
तुमसे बस यही एक बात कहते हैं।
जाओ तुम्हें आजाद करता हूं।
तुम्हारी नई दोस्ती रहे खुशगवार,
यही फरियाद करता हूं।
30  3 July 1988
Dosti vaise  Toh Koihi Karta Hai.
Bahut Se log iise krte Hai or krte b nahi.
ISe karna Aasan hai Par nibhana Mushkil.
Agar Chahen toh ye hume banati Hai Kush Dil.
Nahi ho sakte vo bushdil.
Kaha Jata Hai Ek Aur Ek Gyarah hotei hai
Ekta k samookh log chain se nahi sote hain.
Dost Rose naye kai milte Hain
Lekin Jis dost ki Mein Baat Karta Hoon.
Woh Sadiyon Mein Kamal Ki Tarah Khilte Hain
Naye Aane Se purana kuo ch or dena nahi
Apne matlab ke liye Mukh Mor leina nahi
Tumhain vo bhi kabhi Denge sahaara.
Ye suna he to vo hiai  Hira.
Mana Tumhara Dil Humse bhar Gaya Hai
Tum ajad Rehna chahte ho
Tumhe Kaun Bandhiyan bandhe Hai
Tum chahte ho phir Bhi Hum,
 ek baar Tumse Kehte
Jao TuMhai  aazad Karta Hoon
Tumhari Dosti Rahei Khushgwaar
 yahiFariyad Karta Hoon.

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