न जाने किस राह पर बढ़ते जा रहे थे कदम।
रुकना था किस मोड़ पर, खबर नहीं थी मेरे हमदम।
फूलों से भरी कतारें थी,
रुकना था किस मोड़ पर, खबर नहीं थी मेरे हमदम।
फूलों से भरी कतारें थी,
बहारें दे रही पनाहें थी।
बड़ी तमन्ना थी साथ चलें हम,रुकें तो साथ ही।
रुक जाना था किस मोड़ पर ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
फूलों भरी थीं,जो पकड़ी राहें।
चाहा साथ चलें,जब तक चाहें।
पर साथ छूट गया,मगर चलते रहे हम।
रुक जाना था किस मोड़ पर ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
साथ अपना था कहांँ तक, ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
रुक जाना था किस मोड़ पर ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
फूलों भरी थीं,जो पकड़ी राहें।
चाहा साथ चलें,जब तक चाहें।
पर साथ छूट गया,मगर चलते रहे हम।
रुक जाना था किस मोड़ पर ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
साथ अपना था कहांँ तक, ये खबर नहीं थी मेरे हमदम।
117 11Nov 1989
Na Jane Kis Raah Par badhta ja rahi thi Kadum.
Ruk Jana Tha Kis Mod Pe Ye khabar nahi thi Mere hamdam.
Phoolon Se Bhari thi wo Katarain.
Bahar de rahi thi Bahon Mein Apni Hame panahain.
Badi Tamanna Thi Saath chale hum,
Ruke Tu Saath Hi.
Magar Chalte Rahe
Ruk Jana Tha Kis Mod Pe Ye khabar nahi thi Mere hamdam.
Woh Raste the Phoolon bhare
Jo Pakdi Thi Humne apne liye Rahain.
Unpe chale hum saath bhi.
Lekin ,Sath choot gya. Magar Chalte Rahe Hum.
Ruk Jana Tha Kis Mod Pe yai Khabar nahi thi Mere hamdam.
Saath tha Apna Kahan Tak Ye khabar nahi thi Mere hamdam.
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