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Sunday, 7 May 2017

K2 0083 जो खाई खोदता है वही उसमें गिरता है (Jo Khai khodta hai wahi usme Girta hai)

हम न जान सके वह इतना सब क्यों कह गए।
बस उनके शब्द ही मन में रह गए।
उन्होंने कहा, जो खाई खोदता है वही उसमें गिरता है।
हम कहते हैं जमाना ऐसा है।
कि वह खुद तो नहीं गिरता मगर साथ वालों को उस में गिराता है।
हमारा मन बात-बात पर यूंँ ही सोचों मैं डूब जाता है।
जब उनका कहा याद आता है।
ऐसा ही हुआ एक दिन, खाई तो उन्होंने खोदी दोस्तों के साथ।
मगर उन दोस्तों की बदौलत वे खुद ही गिर गए उसने अपने आप।
उनकी बात उल्टी पड़ गई, दोस्त हँसते गए।
वह हमारी ओर तिरछी नजर से देख रहे थे।
मगर हम अपनी ही राहों पर चलते  गए।
83 4 Sept 1989
Hum Na jaan sake vo kyu Ye Keh Gaye.
Bas un ke shabd He Man Mein reh gae.
Vo kehte hain Jo Khai khodta hai wahi usme Girta hai.
Hum kehte hain Zamana aisa ha
Key veh khud toh nahi Girta magar sath Walon Ko usme girata Hai.
Hamara Mann baat baat per Yunhi Sochon Mein Doob jata hai.
 Jab unka Kaha Yaad Aata Hai.
Aisa hee Hua ek din, khai to uNhone Khoudi doston ke saath
Magar Doston ki badolat Khud He  usme gir gae apne aap.
Un Ki Baat ulti pad gayi, dost hastey Gaye.
Woh Hamari aur Tirchi nazron se dekh rahi the.
Magar Hum Apni Rahon pe Chalte Chale Gaye.

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