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Thursday, 25 May 2017

286 क्यों उठता है दर्द (Kyun Hota Hai Dard)

क्यों उठता है दर्द उसके लिए,
जिस से कोई रिश्ता ही नहीं।
क्यों तड़पता हूं मैं उसके लिए,
 जो मुझे जानता ही नहीं।
यही सोचता हूं ,कि काश़,
तेरा दिल मुझे जाना पाता।
मगर , तू मुझे जानता ही नहीं।
क्यों ऐसा होता है कि तड़पो जिसके लिए,
 वो तुम्हें पहचानता ही नहीं।
जमाने के  क्या दस्तूर हैं,
सोचता हूं कभी कभी यूं ही ।
नहीं जान पाता हूं उनको,
कैसे जानूं जिनको जानता ही नहीं।
भगवान ही जानता होगा,
कैसे मिलाना है दिलों को ।
और कैसे तड़पाना है।
मगर ,तड़प होती है क्या है,
 ये तो वो जानता ही नहीं।
286 17 ,May 1991
Kyun Hota Hai Dard uske liye,
Jis Se Koi Rishta Hi Nahi.
Qun Tadapta hoon main uske liye
Jo Mujhe Janta hi nahi.
Yahi Sochta Hu ,ki kash,
Tera Dil Mujhe Jaan pata.
Magar, tu toh Janta hi nahi.
Kyun Aisa Hota Hai Ki Tum Tadpo jiske liye,
wo Tumhain pehchanta  hi nahi.
Zamane Ke Kya Kasoor Hain,
Sochta Hu kabhi kabhi yun hi.
Nahi Jaan pata Unko.
Kaise Jaanu jinko Janta hi nahi.
Bhagwan Hi Janta hoga
Kaise Milana Hai Dilon Ko.
 aur kaise Tafpana Hai ,
Magar, hoti hai kya,
 yeh toh vo Janta hi nahi.

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