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Friday, 12 May 2017

K2 00101 मन की बात (Mann Ki Baat)

हम पास बैठे थे उनके।
करते रहे वो हमें लोगों के सामने बेइज्जत।
कुछ भी न बोले हम फिर भी,
देखें क्या सिला देती है वफा़ का हमें यह कुदरत।
चुप ही तो रहना था हमें,
हम उनको कुछ जोर से बोलें,
कर नहीं सकते यह जुर्रत।
देखते ही रहे हम बस उन्हें,
मगर वो बात करें हमसे ,
इतनी भी उनको कहाँ है फुर्सत
अब तो इंतजार करते रहते हैं बस उनका।
बात तो वह तब करें ,
जब हो उन्हें हमारी जरूरत।
101 28 Sept 1989
Munnu Ki Baat
 Hum unke Paas behte the.
Karte rahe vo Hame logon Ke Samne beizzat.
Kuch Bhi Na Bole Hum tab bhi.
Dekhen kya Sila Deti Hai Wafa Ka Hame yai Kudrat.
Chup Hi Toh Rehna tha humein.
Hum unko kuch zor Se Bolen Hum kar nahi sakte yai Zurrrat.
Dekhte hi Rahe Hum bas uneh.
Magar ko baat kare Hum Se Itni bhi nahi unko fursat.
Intezaar Karte rehte Hain bus unka.
Baat toh vo tab Karen
 Jab Ho unhain Hamari Zaroorat.

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