महाराष्ट्र में जन्मे(भागुर गाँव) विनायक सावरकर ,वीर सावरकर नाम हुआ।
माता राधाबाई तथा पिता दामोदर पन्त सावरकर,भाई गणेश (बाबाराव) व
नारायण दामोदर सावरकर ,बहन नैनाबाई का संग मिला।
नौ वर्ष में माता जी, सोलह वर्ष की आयु में पिता जी का देहान्त हुआ।
बड़े भाई गणेश पर परिवार के पालन-पोषण का भार हुआ।
दुःख,कठिनाई की घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व ने विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा।
मैट्रिक पास की, उन्हीं दिनों कविताएँ लिखने का भी उनको शोक चड़ा।
उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए स्थानीय नवयुवकों को संगठित कर मित्र मेलों का आयोजन किया।
और इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला को प्रज्वलित किया ।
सन् १९०१ में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ।
उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठा, पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बी०ए० किया।
लन्दन प्रवास में बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
इंडिया हाउस, लन्दन में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती मनाई।
यहीं ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित १८५७ के संग्राम को गदर के स्थान पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सिद्ध किया।
1857 की क्रांति पर पुस्तकें पढ़, "द हिस्ट्री ऑफ द वार ऑफ इंडियन इन्डिपेन्डेन्स" किताब का सृजन किया।
(The History of the War of Indian Independence)
(१ जुलाई १९०९ को)
जब मदनलाल ढींगरा ने विलियम हट कर्जन वायली को गोली मारी, उन्होंने लन्दन टाइम्स में जब एक लिखा लेख।
पैरिस से लन्दन पहुँच गिरफ़्तार हुए ,पर जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।
सावरकर ने अपने मित्रो को बम बनाना और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई।
नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें काला पानी की सजा हुई। ७ (अप्रैल, १९११,सेलुलर जेल भेजा गया)
(२४ दिसम्बर १९१० को ,इसके बाद ३१ जनवरी १९११ को )
ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति कार्यों के लिए इन्हें दो बार आजीवन कारावास दिया ।
सावरकर को जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा मिली, यह पहली बार हुआ।
सावरकर के अनुसार -
मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।
सावरकर जीवन भर अखण्ड भारत के पक्ष में रहे, गान्धी और सावरकर के दृष्टिकोण कभी नहीं मिले।
भारत विभाजन का विरोध किया, सावरकर २०वीं शताब्दी के सबसे बड़े हिन्दूवादी रहे।
15 अगस्त 1947को उन्होंने सावरकर सिद्धांतों में भारतीय तिरंगा एवं भगवा, दो-दो ध्वजारोहण किये।
1948 को महात्मा गांधी की हत्या के उपरान्त उन्हें प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट धारा के अन्तर्गत वे गिरफ्तार कर लिये।
सितम्बर, १९६५ से उन्हें तेज ज्वर ने आ घेरा, जिसके बाद इनका स्वास्थ्य गिरने लगा,१ फ़रवरी १९६६ को उन्होंने मृत्युपर्यन्त उपवास किया ।
२६ फ़रवरी १९६६ को बम्बई में भारतीय समयानुसार प्रातः १० बजे में अंतिम सांस ले इस दुनिया से प्रस्थान किया।
8.30pm 24 May 2021