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Wednesday, 13 November 2024

2929 नानक की बाणी को समझें

 Punjabi version 1094

जब लंगर बैठकर खाते सारे।

कब जाति-पाति दिखती हैं।

मिल-जुलकर जब सब बैठे हों तो,

तोड़ने की बातें कब दिखती हैं।


इंसान तो इंसान ही था।

ये धर्म-कर्म तो बाद में आए।

इंसान इंसानियत भूल गया।

इन भ्रमों में इतने भरमाये।


आओ कुछ विचार करें।

नानक की बाणी को समझें।

ना कि सिर्फ उच्चार करें।

कुछ अपने आप का सुधार करें।

5.22pm 13 Nov 2024

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