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Thursday, 21 November 2024

2937 ग़ज़ल : तेरा वार देखकर

English version 2940 , 2938

Punjabi version 2941

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क़ाफ़िया आर Qafia aar

रदीफ़ देखकर Radeef Dekhkar

सोचा था तू बनेगा मेरा प्यार देखकर।

हैरान हो गया मैं तेरा वार देख कर।

था झूठ और फ़रेब दुकानों में बिक रहा।

 घबरा गया था मैं वहांँ बाजार देख कर।

था झूठ सच पे भारी जहांँ मोल भाव था।

मैं चल पड़ा था सच का वहांँ भार देखकर।

चाहा सुकून मैंने, मिला शोर हर तरफ।

आया था मैं चला,वहांँ तकरार देख कर।

मैं चल दिया वहांँ से लेके टूटा दिल मेरा।

करता भी क्या वहांँ तेरा इनकार देखकर।

जब सोच मैं चुका था तुझे खो चुका हूँ मैं।

हैरान हो गया तेरा इज़हार देख कर।

मंज़िल मिलेगी सोच में चलता रहा सदा।

बच कर चला था 'गीत' वहांँ ख़ार देख कर। 

3.43pm 1 Nov 2024

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