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Saturday, 31 December 2016

K3 0064 गम ही गम (Gum Hi gum)

ज़माने का गम तो सह लेते हम
क्या करें जो इल्ज़ाम तुमने दिया।
 सोचा नहीं था बेरुखी यूँ हमसे करोगे तुम ।
किस तरह मोहब्बत का अपमान तुमने दिया।
 ज़िंदगी मेरी बन गई इक दर्द-ए-ग़म ।
चलो हम पर यह एहसान तो तुमने किया ,
चलो ,जीने का सहारा तो दिया।
 चाहे दर्द ए गम ही दिया ।
जी लेंगे हम सफर बनाकर उन्हें जो दिए हैं तुमने गम।
 दिल ने इसी बात पर शुक्रिया अदा किया।
 कभी तो बने थे राह में तुम हम कदम ।
मोहब्बत का कर्ज हम ने अदा किया।
 क्या हुआ जो ठुकरा दिया तुमने सनम।
 जिंदगी की किताब में एक पन्ना तुम्हारा भी हो गया।
 चाहे उस पन्ने में भरे तुमने गम ही गम।
6Aug 1989   64

Gum Hi gum
 Zamane ka kam to seh lete Hum.
 Kya Kare Jo iljam Tumne Diya .
Socha Nahi Tha berukhi yun Humse Karoge Tum.
 Is Tarah Mohabbat Ka paigham Tumne Diya .
Zindagi Meri ban gayi hai dard e Gam.
 chalo Hum pe yeh ehsaan  to Tumne Kiya.
Chalo, Jeene Ka Sahara Tu Tumne Diya.
Chahe dard e gum hi diya.
Jee  Lenge Humsafar Banakar unhen Jo diye Hai Tumne gum.
Dil ne isi baat pe shukriya ada kiya.
Kabhi tou bne the rah main tum hum kadam.
  Mohabbat Ka karz Humne ada Kiya.
 kya hua jo thukra diya tumne Sanam .
Zindagi Ki Kitab Mein ek Panna Tumhara bhi ho gaya .
Chahe us panne me bhare Tumne Gum hi gum

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