हर मन में महत्वकांक्षाएं पलती हैं।
हिम्मत अगर खो दो तो वह ढलती हैं ।
महत्वकांक्षा के साथ छोटी आकांक्षा जो टकराएगी।
तो महत्वकांक्षा कमजोर हो जाएगी।
अपना असर जो खो देगी वो,
तो तुम क्या कुछ पा सका सकोगे ,जरा बोलो।
खुद पर जो भरोसा है तुम्हें ,
तो निश्चय ही तू पाएगा उन्हे।
मन जो सफलता के भावों से भरा होगा ।
तुम्हारा रास्ता भी फिर फूलों से भरा होगा ।
नाकारात्मक विषय में कभी मत सोचो ।
जो भी सोचो सकारात्मक सोचो ।
सोचो और बढ़ो ।
आगे बढ़ो श्रम करो ।
मंजिल को छू लो ।
नहीं पा सकते ,यह भूलो ।
पा लोगे तुम उसे ।
चाह है मन में पाने की जिसे।
203. 24 july 1990
हिम्मत अगर खो दो तो वह ढलती हैं ।
महत्वकांक्षा के साथ छोटी आकांक्षा जो टकराएगी।
तो महत्वकांक्षा कमजोर हो जाएगी।
अपना असर जो खो देगी वो,
तो तुम क्या कुछ पा सका सकोगे ,जरा बोलो।
खुद पर जो भरोसा है तुम्हें ,
तो निश्चय ही तू पाएगा उन्हे।
मन जो सफलता के भावों से भरा होगा ।
तुम्हारा रास्ता भी फिर फूलों से भरा होगा ।
नाकारात्मक विषय में कभी मत सोचो ।
जो भी सोचो सकारात्मक सोचो ।
सोचो और बढ़ो ।
आगे बढ़ो श्रम करो ।
मंजिल को छू लो ।
नहीं पा सकते ,यह भूलो ।
पा लोगे तुम उसे ।
चाह है मन में पाने की जिसे।
203. 24 july 1990
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