पाले थे फूल मैंने कितने नाजों से ,
पता क्या था बन काँटे वो चुभेगें।
पता क्या था बन काँटे वो चुभेगें।
इस आस से सींचा था उपवन को ,
महकाएंगे चमन मेरा जब वो खिलेंगे ,
पता क्या था वन काँटे वो चुभेंगे ।
महकाएंगे चमन मेरा जब वो खिलेंगे ,
पता क्या था वन काँटे वो चुभेंगे ।
पल पल बढ़ते देखा जिनको ,
हवा से, धूप से बचाते रहे ,
खिलने पर यूंँ रूप बदलेंगे।
पता क्या था बन काँटे वो चुभेंगे।
फूल कहता नहीं चाहिए तुम्हारा सहारा,
देख लूँगा मैं खुद ही तेज हवाओं को ।
कैसे देखूँ बिखरते हुए उस फूल को ,
जिसे सींचा मैंने खून से था ।
पता क्या था, बन काँटे वो चुभेंगे।
कैसे देखूँ बिखरते हुए उस फूल को ,
जिसे सींचा मैंने खून से था ।
पता क्या था, बन काँटे वो चुभेंगे।
आज महकते हैं कितनी शान से ,
रंग ए खुशबू फैलाते हैं दुनिया में ,
आज लहराते हैं बड़ी शान से,
अपने को दुनिया में टकराते हुए।
पता क्या था बन काँटे वो मुझे ही चुभेंगे।
463 13 Dec 2016
Phool bane kaante
Palei The Phool maine kitne Naaz se.
Pata kya tha Ban Kaante wo chubhange .
Mehkayenge Chaman ko mere Jab khilenge,
is Aas se seencHa us upvan ko.
Pata kya tha ban Kaante vo chubhenge .
Pal Pal Badte Dekha unko .
Hawa se dhoop say Bachatey Rahe.
Khilne pe yu Roop badLenge.
Pata kya tha bann Kante vo chubaige.
Phool kehta Sahara Nahi Chahiye Tumhara.
dekh Loonga main khud hi tej hwaon ko.
kaise Dekhun bikharte hue us phool ko.
Jisco Sincha maine Khoon Se .
Aaj Mehktae Hain Kitni Shaan Se.
Rang e Khushboo phelAate Hain Duniya Mein .
Pata kya tha bun Kaante Wo Mujhe hi chub henge
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