Followers

Tuesday, 12 December 2017

395 तेरी मजबूरियां (Teri majbooriyan )

तेरी मजबूरियां हैं जो भी,
तू छुपा  ना उनको मुझसे।
बता दे तू उनको जो,
छुपा नहीं तू सकता।
जख्म जिंदगी है देती,
यह जान ले तू मुझसे।
क्यों सोचते हो ऐसे,
उन्हे मिटा नहीं मैं सकता।
यही बेड़ीयाँ है यारा,
जो खोलनी है तुमको।
कितना है जोर इनमें,
जो छुड़ा नहीं तू सकता।
जिए तो हम भी हैं ऐसे,
दूर रह लेंगे तुझसे।
 फिर भी ना जाने क्यों मैं दामन,
 तुझसे छुड़ा नहीं हूँ सकता।
395 9 Nov 1992

Teri majbooriyan Hain Jo Bhi,
 Tu Chupa na unko Mujhse.
Bata De Tu Unko Jo,
Chhupa Nahi Tu Sakta.
Zakhm Zindagi Hai Deti.
Yeh Jaan Le Tu Mujhse.
Kyon sochte Ho Aise,
Umhaim mita nahi mai sakta.
Yehi Bediyan Hain Yara,
Jo Kholni Hain Tujhko.
Kitna hai jor in Mein,
Jo Chjuda Nahi Tu Sakta..
Jiye To Hum Bhi Hain Aise,
Door reh Lenge Tujhse.
Phir Bhi Na Jaane Kyun Main Daman,
Tujhse Chhuda Nahi Sakta.

No comments: