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Friday, 22 December 2017

405 वफ़ा कौन करे (Wafa Kaun Kare)

बीमार ए दिल का इलाज हम करते हैं।
हम जो बीमार हों तो दवा कौन करे।
बेवफाई ही जब जहां का चलन हो जाए,
तू इस जहान में फिर वफ़ा कौन करें।
तड़पना और तड़पाना ही जहां मशहूर हो,
तो इस तड़प की दवा कोई क्यों करें।
मंजिल का ही जब पता ना हो मुसाफिर को,
तो राह की परवाह कोई क्यों करें।
भूलना ही सदा जिनकी आदत हो,
किसी को याद फिर कोई क्यूं करें।
याद में ही अगर सुकून मिलता हो,
तो भूलने की खता फिर कोई क्यूं करे।
जफा में ही अगर सुकून मिलता हो,
तो इस जहां में बफ़ा कौन करे।
बेवफाई ही जब जहां का चलन हो जाए,
तो इस जहां में फिर वफ़ा कौन करे।
405 27 Nov 1992
Bimar e Dil Ka Ilaaj Hum Karte Hain,
Hum jo bimaar hon to Dawa Kaun Kare.
Bewafai Hi Jab Jahan Ka Chalan Ho Jaye,
Toh Iss Jahan Mein Phir Wafa Kaun Kare.
Tadapna or tadpana hi jahan mashur Ho,
Toh is Tadap Ki Dawa Koi Kyun kare.
Manzil Ka Hi Jab Pata Na Ho Musafir ko,
Tho rah Ki Parwah Koi Kyun kare.
Bhoolna hi Sada Jiski Aadat Ho,
Kisi Ko Yaad Phir Koi Kyun kare.
Yaad mein hi agar Sukoon Milta ho,
Toh Bhoolne Ki Khata Phir Koi Kyun kare.
Jafa mein hi agar Sukoon Milta Ho,
Toh Iss Jahan Mein Wafa Kaun Kare.
Bewafai ki Jab Jhahan ka Chalan Ho Jaye,
Toh Iss Jahan Mein Phir Wafa Kaun Kare.

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