Followers

Friday, 12 January 2018

425 पत्थर दिल हैं वो. (Pathar Dil Hain Wo)

कितने पत्थर दिल हैं वो किसी की बात समझते ही नहीं।
सभी लुटते रहे हैं उन पर एक वो हैं की,
किसी का हाल ए दिल पूछते ही नहीं।
बड़े खुदगर्ज हो गए हैं वो।
गर्ज अपनी मिटाते हैं,
 किसी का क्या कुछ जाता है सोचते ही नहीं।
तन्हाई से उन्हें प्यार है यह जताते हैं वो।
जबकि सारा दिन जुबां चुप रखते ही नहीं।
मैं मोम हूँ वो कहते हैं ,बाती की तरह तो जलाते हैं,
मगर, खुद कभी जलते ही नहीं.।
कितने पत्थर दिल हैं वो किसी की बात समझते ही नहीं।
425 10 May 1993
Kitne Pathar Dil Hain Wo kisi ki baat samajhte hi nahi.
Sabhi Lut-te rahe hain Unpar ,Ek Wo Hain Ki,
Kisi Ka Haal e dil Poochte Hi Nahin.
Bade Khudgarz ho gaye hai woh,
Garz apni mitaate Hain,
Kisi ka kuch jata hai sochte hi nahin.
Tanhai se Unhain  Pyar Hai ,
Yeh Jtaate Hain voh.
Jabki sara Din Juban chup rakhte hi nahin.
Main mom Hoon Woh Kehte Hain,
Baati Ki Tarah Tuo jalate Hain.
Magar, Khud Kabhi Jalte Hi Nahi.
Kitne Pathar Dil hain woh.
Kisi ki baat samajhte hi nahin.

No comments: