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Thursday, 18 January 2018

432 क्या कहते हैं इस जलन को (Kya kehte hain Is Jalan ko)

चोट सी लगती है दिल पे ,
जब सरे महफ़िल कोई तेरा नाम लेता है।
कुछ कह भी तो नहीं सकता मैं उसे ,
क्योंकि, वो तेरा पैगाम देता है।
पीकर रह जाता हूं तब मैं घूंट गम का,
यू लेता है, जब कोई नाम मेरे सनम का।
खामोशी में तब तूफान उठने लगते हैं।
भरी बहार में फूल झुलसने लगते हैं।
क्या कहूं मैं इस चीज को जो सिर्फ,
एक तेरे नाम से यूं बेकरार करती है मुझे।
बता दे ,ये तेरी जफा है,
 या फिर तू प्यार करती है मुझे।
क्यों यू सहा नहीं जाता मुझसे,
 किसी का यूं तेरा नाम लेना।
क्या कहते हैं इस जलन को ,
यह जरा तू ही बता देना।
जो ज़ख्म मैं सहता रहता हूं अक्सर,
जरा उन पर कुछ मरहम तो लगा देना।
क्या कहते हैं इस जलन को
ये जरा तू ही बता देना।
432 1 Sept 1993
 Chot Si Lagti Hai Dil Pe Jab,
Sare Mehfil Koi Tera naam leta hai.
Kuch Keh Bhi To Nahi Sakta main usse,
 Kyunki,Woh Tera Paigam deta hai.
Pee kar raha Jata Hoon Tab mein ghoont Ghum ka.
You leta hai Jab Koi Na Mere Sanam ka.
Khamoshi Me tab Toofan uthne Lagte Hain.
Bheri Raahon Mein fuir Fool Jhulsne Lagte Hain.
Kya Kahoon Main is cheez ko, jo sirf ek Tere Naam Se Yun Bekarar Karti Hai Mujhe.
Bata de, Ye Teri Jafa Hai ya phir,
Tu Pyar Karti Hai Mujhe.
Kyon youn Saha Nahi Jata Mujhse,
Kisi Ka Yun Tera Naam Lena.
Kya kehte hai is Jalan ko,
Yeah Zara Tu Hi Bata dena.
Jo zakham mein Sehta Hoon Akshar.
Zara un par kuch Mar- Hum Toh laga dena.
Kya kehte hain Is Jalan ko,
Ye Jra Tu Hi Bata dena.

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