9788189331894 53095 BookZindgi1
या पिला दे ऐ साकि मुझे, या तो दे दे जहर।
या तो कर दे अरमान पूरे मेरे, या तो ढाह दे कहर।
क्या कहूं कितना है मुश्किल काटना,
जिंदगी का हर लम्हा हर पहर।
रात कटती नहीं मेरी बिन तेरे,
तू जरा सहर तक तो ठहर।
खोना चाहता हूं मैं तो यादों में तेरी,
दिन के आठों पहर।
डूबता ही रहा इन आंखों में तेरी,
जाने कितनी गहरी है ये नहर।
वो तो चंचल सी थी ,इक खिली सी कली,
कैसे पाती ठहर।
उड़ना ही था उसे तो वहां से,
पीना ही था मुझे, जुदाई का जहर।
मैंने उससे कहा,
छोड़ दे मेरे हाल पर तू मुझे,
या तो थोड़ा ठहर।
आंख मलता हुआ मैं जब उठा ,
तो देखा हो चुकी थी सहर।
440 7,8,Feb 1994
Ya Pila De e saaki Mujhe ,Yaa toh Dede Zeher.
Ya toh kar de Armaan Pure Mere, Ya Tuo Dhaha de Kehar.
Kya Kahoon Kitna Hai Mushkil Katna ,
Zindagi Ka Har Lamha Har pehar.
Raat Ka tii nahi Meri Bin Tere,
Tu Zara Sehar Tak tho thehr.
Khona Chahta Hoon Main Toh Yaadon Mein Teri,
Din ke aathon pehar.
Dobta Hi Raha In Aankhon Mein Teri , Jane kitne gehri hai yeh neher.
Woh toh Chanchal si thi,ik kaili ,
kaise pati the.
Udna hi tha usse Tu Wahan Se,
P dena hi tha mujhe Judai Ka Zehar.
Maine usse Kaha
Chod de Mere Haal par mujhe ,
ya toh thoda ther.
Aankh Malta hua me Jab Utha ,
toh Dekha, ho chuki thi Sehar.
या पिला दे ऐ साकि मुझे, या तो दे दे जहर।
या तो कर दे अरमान पूरे मेरे, या तो ढाह दे कहर।
क्या कहूं कितना है मुश्किल काटना,
जिंदगी का हर लम्हा हर पहर।
रात कटती नहीं मेरी बिन तेरे,
तू जरा सहर तक तो ठहर।
खोना चाहता हूं मैं तो यादों में तेरी,
दिन के आठों पहर।
डूबता ही रहा इन आंखों में तेरी,
जाने कितनी गहरी है ये नहर।
वो तो चंचल सी थी ,इक खिली सी कली,
कैसे पाती ठहर।
उड़ना ही था उसे तो वहां से,
पीना ही था मुझे, जुदाई का जहर।
मैंने उससे कहा,
छोड़ दे मेरे हाल पर तू मुझे,
या तो थोड़ा ठहर।
आंख मलता हुआ मैं जब उठा ,
तो देखा हो चुकी थी सहर।
440 7,8,Feb 1994
Ya toh kar de Armaan Pure Mere, Ya Tuo Dhaha de Kehar.
Kya Kahoon Kitna Hai Mushkil Katna ,
Zindagi Ka Har Lamha Har pehar.
Raat Ka tii nahi Meri Bin Tere,
Tu Zara Sehar Tak tho thehr.
Khona Chahta Hoon Main Toh Yaadon Mein Teri,
Din ke aathon pehar.
Dobta Hi Raha In Aankhon Mein Teri , Jane kitne gehri hai yeh neher.
Woh toh Chanchal si thi,ik kaili ,
kaise pati the.
Udna hi tha usse Tu Wahan Se,
P dena hi tha mujhe Judai Ka Zehar.
Maine usse Kaha
Chod de Mere Haal par mujhe ,
ya toh thoda ther.
Aankh Malta hua me Jab Utha ,
toh Dekha, ho chuki thi Sehar.
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