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Saturday, 27 July 2019

990 झील किनारे (Zheel Kinare)

बैठे हुए झील किनारे,
 यूँ ही मैं खो जाता हूँ।
याद तेरी में, मैं दिलबर,
ख्वाब कुछ सजाता हूँ।

लहरों के ताने-बाने बुनता हूँ।
किरणों के चाँद तारे लगाता हूँ।
यूँही तेरी मैं दिलबर,
चुनर प्यार की बनाता हूँ।

ईठलाती तू झील सी,
चली आती है पास मेरे।
लहरों सी लहराती है तू,
मैं साथ तेरे हो जाता हूँ।

कुछ कहता नहीं मैं,
बस देखता तुझको रहता हूँ।
मस्त पवन के झोंकों से,
मैं बातें करता रहता हूँ।

पवन ले जाती है लहरों को,
एक छोर से दूसरे छोर।
मैं भी इस पवन का साथी बन,
आस मिलन की लगाता हूँ।

बैठे हुए झील किनारे,
 यूँ ही मैं खो जाता हूँ।
याद तेरी में, मैं दिलबर,
ख्वाब कुछ सजाता हूँ।
9.00pm 27July 2019 Saturday

Baithi Hue  Jheel Kinare,
Yuhi Mein Kho Jata Hoon.
Yaad Teri mein, main Dilbar,
Khwaab kuch  Sjaata hoon.

Lahron ke Tane Bane buna Hoon.
Kirno ke Chand Tare lagata Hoon.
Yuhi Teri Main Dilbar,
 Chunar Pyar ki SaJata Hoon.


Ithlaati Tu Zheel Si,
Chali Aati Hai Paas Mere.
Lehron  si Lehrati Hai Tu,
Main Saath Tere Ho Jaata Hoon.

Kuch Kehta Nahin main,
Bas Dekhta Tujhko Rehta Hoon.
Mast Pawan Ke Jhonkon Se,
Main baaten karta Rehta Hoon.


Pawan Le Jati Hai laraon Ko,
Ek Chor se dusri chor.
Main bhi is Pawan ka Saathi ban,
Ass Milan Ki lagata Hoon.

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