यादों के गहरे सागर में,भर आया था प्यार तेरा।
बहुत देर तक समां न सका,उछल आया अहंकार तेरा।
खुद को बड़ा कभी न समझ,बड़ा तो ऊपर वाला है ।
किसी के हाथ नहीं रहता, जब छीनता वो निवाला है।
मेरे इस प्यार को, एहसान तुम समझना नहीं।
अगर समझ लिया तो, फिर उतार देना कहीं।
आशिकों की दीद को, समझा तुमने क्या ।
जिस बात का डर था ,आखिर वही हुआ।
2.42pm 3 Feb 2020
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