212 212 212 212
काफि़या :Qafia : आ ,Aa
रदीफ़: Radeef:तो सही, To sahi
तू गली में ज़रा मेरी, आ तो सही।
आ के तू दिल से दिल को मिला तो सही।
तू असर देख मेरी मुहब्बत का, फिर ।
दिल मिला, और अपना बना तो सही ।
आ गया जो मुहब्बत के पहलू में फिर ।
आ गया, फिर तू जाके दिखा तो सही।
दूर रह पाएगा एक पल भी न तू ।
इक दफा तू गले से लगा तो सही ।
जो किया है मुहब्बत ने मेरी असर ।
जादु अपना भी मुझ पर चला तो सही
4.10pm 24 Feb 2021
5 comments:
डर है ये अगर, हुआ जो असर
मुहब्बत का नगमा चले न चले।
ग़ज़लों में यूं ही हम बहते रहें,
मौजों की रवानी बस यूँ ही मचले।
.... बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखने के लिए आपको बधाई, आभार और यूँ ही आगे लिखते रहने की शुभकामना!!
डर है ये अगर, हुआ जो असर
मुहब्बत का नगमा चले न चले।
ग़ज़लों में यूं ही हम बहते रहें,
मौजों की रवानी बस यूँ ही मचले।
.... बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखने के लिए आपको बधाई, आभार और यूँ ही आगे लिखते रहने की शुभकामना!!
Mind blowing
आपकी इन सुंदर पंक्तियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
Thanks
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