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Thursday 25 February 2021

1568 गज़ल : Gazal : जादु अपना भी मुझ पर चला तो सही

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काफि़या :Qafia : आ ,Aa

रदीफ़: Radeef:तो सही,  To sahi


तू गली में ज़रा मेरी, आ तो सही।

आ के तू दिल से दिल को मिला तो सही।


तू असर देख मेरी मुहब्बत का, फिर ।

दिल मिला, और अपना बना तो सही ।


आ गया जो मुहब्बत के पहलू में फिर ।

आ गया, फिर तू जाके दिखा तो सही।


दूर रह पाएगा एक पल भी न तू ।

इक दफा तू गले से लगा तो सही ।


जो किया है मुहब्बत ने मेरी असर ।

जादु अपना भी मुझ पर चला तो सही

4.10pm 24 Feb 2021

5 comments:

विश्वमोहन said...

डर है ये अगर, हुआ जो असर
मुहब्बत का नगमा चले न चले।
ग़ज़लों में यूं ही हम बहते रहें,
मौजों की रवानी बस यूँ ही मचले।
.... बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखने के लिए आपको बधाई, आभार और यूँ ही आगे लिखते रहने की शुभकामना!!

विश्वमोहन said...

डर है ये अगर, हुआ जो असर
मुहब्बत का नगमा चले न चले।
ग़ज़लों में यूं ही हम बहते रहें,
मौजों की रवानी बस यूँ ही मचले।
.... बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखने के लिए आपको बधाई, आभार और यूँ ही आगे लिखते रहने की शुभकामना!!

Unknown said...

Mind blowing

Sangeeta Sharma Kundra said...

आपकी इन सुंदर पंक्तियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

Sangeeta Sharma Kundra said...

Thanks