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Friday 26 February 2021

1569 खिल उठा मन मेरा जिससे, हाँ मेरी माशूक है

यह खुशबू कहाँ से आई है, जो मन को मेरे भायी है।
खिल उठा मन जिससे  मेरा,हाँ यही वो फूल है।

हर कली मुस्काई है ,यह कौन चमन में आई है।
खिल उठा मन  जिससे मेरा, हाँ यही वो नूर है।

हवा इत्र बिखरा गई ,यह कौन जुल्फ बिखरा गई।
खिल उठा मन जिससे मेरा, हाँ यही वो हूर है।

कौन सा बादल उड़ा, कौन आंचल लहरा गई।
खिल उठा मन मेरा जिससे, हाँ मेरी माशूक है।
3.34pm 26 Feb 2021