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Monday, 22 February 2021

1565 गज़ल:Gazal: प्यार तुमसे, न ही किया होता

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काफ़िया :Qafia:इया iaa

रदीफ़: Radeef:  होता Hota

प्यार तुमसे, न ही किया होता ।

दिल ये अनजान को दिया होता।


प्यार में तेरे मैं मरा जाता ।

काश इक पल तो हाँ जिया होता।


जान जाता जो प्यार को तेरे।

 जहर यूँ तो न हाँ पिया होता।


तुझ पे बर्बाद जिंदगी कर दी ।

कुछ तो अच्छा यहां किया होता।


कुछ न होगा यूँ सोच कर अब तो।

कब, कहाँ,कैसे ,क्या किया होता।

9.00am 22 Feb 2021

1 comment:

Paramjit said...

So aesthetic poetry