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Sunday, 21 February 2021

1564 लहरों से दूर

 लहरों से दूर ,

चला हो मजबूर ।

सूरज की किरणों का,

अब कहां हो नूर।

 अब वही है थल ,

और वही हलचल।

नीला सिर्फ आसमान,

 नहीं नीला जल ।

अब हरियाली होगी ,

वहां हर जगह हर पल।

चाहे जो हो परिस्थिति।

तू , चला चल ,चला चल।

9.33am 21 Feb 2021