यह समुद्र की लहरें ,
क्या यह खामोश हैं।
या इनका शोर ही शोर है।
क्या कहेंगे इनको ,
तनहाई में बहक रही हैं,
यह इधर उधर या इनको ,
किसी की तलाश है ।
बड़े जोश से आती हैं ,
किनारे की तरफ, पर ,
किनारा मिलते ही ,
एकदम शांत हो जाती हैं।
जैसे इनका मन ,
कुछ कहने को मचल रहा हो,
पर प्रीयतम के सामने आते ही ,
स्वर कंठ से बाहर न आ पा रहे हों ।
और फिर नजरें झुका कर ,
वहीं चुपचाप खड़ी हो जाएं।
और ,फिर एक बार ,
वही करने का प्रयास करती हुई,
एक बार फिर ,
किनारे की तरफ बढ़ आएं।
और प्रयास जारी रहे ,
तब तक ,जब तक, कि ,
उनके मन की बात ,
प्रियतम सुन ना ले।
7.47pm 18 F3b 2021
2 comments:
Very nice
Thanks ji
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